Friday, October 26, 2012

'इप्टा ने मुझे बनाया है और मेरे विचारों को एक अभिव्यक्ति दी है

2 अक्टूबर 2012 को इप्टा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अंजन श्रीवास्तव बिहार के मधेपुरा आयें। यहाँ उन्होंने स्थानीय रंगकर्मियों और बाल कलाकारों से अन्तरंग बात-चीत की। अंजन जी ने इप्टा पर, खुद पर, नाटक एवं प्रेक्षागृह की आवश्यकता पर अपनी बातों को केन्द्रित रखा और प्रतिभगियों के साथ एक जीवंत रिश्ता बना लिया। उन्होंने कहा कि नाटक बेहतर जीवन जीने की कला की ओर प्रेरित करता है। नाटक भारतीय जीवन पद्धति का एक अनिवार्य अंग रहा है। आज आवश्यकता है कि नाटक को स्कूल-कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और बच्चों को नाटक करने, देखने और पढने के लिए प्रेरित किया जाए। एक सवाल "कौन सा नाटक करें?" पर अंजन ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम सवाल करें। हर नाटक को चुनने के पहले नाटक से यह सवाल पूछना चाहिए कि 'कौन सा नाटक', 'कैसा नाटक', 'किस तरह नाटक' हम करने जा रहे हैं? क्या जो हम करने जा रहे हैं वह हमारे आस-पास की, हमारी बात करता है? 'इप्टा ने मुझे बनाया है और मेरे विचारों को एक अभिव्यक्ति दी है।
अपने 43 वर्ष के अभिनय जीवन में मैंने नाटक, और टेलीविजन के साथ एक विचारवान और सजग जीवन जिया है। अब चिंता होती है कि बच्चों के बच्चों का क्या होगा पूरी दुनिया मेकेनिकल होती जा रही। संस्कृतिकर्म को नज़र अंदाज़ किया जा रहा है क्योंकि यह सवाल उठाता है, सोचने की ओर प्रेरित करता है। सत्ता को उसी का चेहरा दिखता है और यही परेशानियों को मूल कारण है। इसलिए यह पूरा षड़यंत्र है कि सवाल पूछने के साधन को नष्ट कर दिया जाए। आज आप देख सकते हैं कि आपके पास एक ढंग का प्रेक्षागृह नहीं है, जहाँ आप नाटक कर सकें। इसलिए आप को सवाल रखना चाहिए कि आपको एक अदद प्रेक्षागृह मिले। मैं भी आपके इस सवाल पर आपके साथ एक स्वर में आवाज़ मिलाता हूँ और कहता हूँ कि मधेपुरा को प्रेक्षागृह मिले।'
अपने लगभग 2 घंटे के बातचीत में अंजन श्रीवास्तव ने कहा कि लोक गीत-संगीत को बचाना इप्टा का एक उद्देश्य है। नाटक मनोरंजन के साथ-साथ समाज की बुराइयों और परिवर्तन को भी दर्शाता है। यह अभिनय का सबसे सशक्त माध्यम है। यहाँ बड़े-बड़े अभिनेता के भी पसीने छूट जाते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इप्टा का भी स्वरुप बदल रहा है। पहले फटेहाली में भी हम अभिनय करते थें। वैसे अब भी कर रहें हैं। लेकिन हमारी कोशिश एक उत्कृष्ट कलारूप का प्रदर्शन करने वाले संगठन के में इप्टा को स्थापित करना है ताकि इस कृत्रिम चकाचोंध का मुकाबला कर सकें।
इस अवसर पर इप्टा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डा0 फीरोज़ अशरफ खां ने कहा कि इप्टा सरकार से राज्य के सभी जिला मुख्यालय में नाटक के लिए प्रेक्षागृह की मांग करता है।

अंजन श्रीवास्तव के साथ एक संवाद कार्यक्रम में इप्टा बिहार के सचिव मंडल के साथी इंद्रभूषण रमण 'बमबम', इप्टा मधेपुरा के अध्यक्ष डॉ. अमोल राय, सुभाष यादव, सहरसा इप्टा के राजन कुमार सहित कई वरिष्ठ व सम्मानित अतिथि उपस्थित थें। इस अवसर पर अंजन श्रीवास्तव को मिथिला संस्कृति के अनुरूप परम्परिक तरीके के सम्मानित किया गया।  

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