Friday, September 28, 2012

याद पिया की आये


कुछ रचनायें ऐसी होती हैं, जिन्हें हम ‘क्लासिक’ कहते हैं। न तो इनसे गाने वाले ऊबते हैं न सुनने वाले। एक ही रचना कई-कई बार कई गायकों द्वारा गायी जाती हैं और मजे की बात यह है कि हर दोहराव एक नयी ताजगी के साथ सामने आता है। ‘याद पिया की आये’ एक ऐसी ही रचना है जो उस्ताद बड़े गुलाम अली खां साहब का ‘मास्टरपीस’ है। यह रचना कोई साठ-सत्तर पुरानी तो होगी ही, पर इसे सुनने वाले आज भी लाखों की तादाद में हैं। यह उल्लेख इसलिये भी जरूरी है कि आज के दौर में आने वाले गाने महीने-दो महीने भी नहीं टिक पाते। कहा जाता है कि यह कंपोजिशन बड़े खां साहब ने अपनी बेगम के इंतकाल के बाद तैयार की थी।



‘‘बैरी कोयलिया कूक सुनाये, मुझ बिरहन का जियरा जलाये’’ - यह दर्द आप बड़े खां साहब की आवाज की लरजिश में भी महसूस करते हैं या इसे प्रत्यक्ष देखना चाहते हैं तो उस्ताद रशीद खां साहब के वीडियो के आखिर में चित्रा जी के चेहरे पर एक नजर डाल लें। उस्ताद रशीद खां ने यह प्रस्तुति जगजीत सिंह की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में दी थी, जिसे एक निजी चैनल ने आयोजित किया था।



बड़े खां साहब की परंपरा को आगे बढ़ाने में पं. अजय चक्रवर्ती का नाम शिद्दत के साथ सामने आता है और पं. अजय चक्रवर्ती की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं उनकी बिटिया कौशिकी चक्रवर्ती। पाठकगण माफ करें, यह मेरा व्यक्तिगत ख्याल है कि बंगाल में वही गायक नाम कमा सके जिन्होंने रवीन्द्र संगीत से इतर सुगम अथवा शास्त्रीय संगीत में भी अपना हाथ आजमाया। इन दोनों आवाजों में इस गाने को सुनना बहुत भला लगता है।




किसी इंटरव्यू में लता मंगेशकर से सवाल किया गया था कि ‘दुनिया आपको सुनती है, आप किसे सुनती हैं,’ तो उनका जवाब था-‘मेहदी हसन’ और जब मेहदी हसन से यही सवाल किया गया तो उनका जवाब था- ‘उस्ताद हुसन बख्श’। जरा सरहद-पार के इस बेजोड़ गायक की आवाज में यह गाना सुनकर देखें:



कोई पचीस बरस पूर्व टी-सीरिज के सौजन्य से एक गायक से मेरा परिचय हुआ था, जिनका नाम है -पंडित अजय पोहनकर। अब यह कैसेट घिसकर खराब हो चुका है पर गाने के बोल अब तक कानों में गूंजते हैं-‘सजनवा तुम क्या जानो प्रीत।’ इन्हीं अजय पोहनकर के साहबजादे अभिजीत पोहनकर पश्चिमी वाद्यों में अपना हाथ आजमा रहे हैं और गाहे-बगाहे उनके जो अलबम  बाजार आ रहे हैं वे ‘फ्यूजन’ की श्रेणी में आते हैं। यह गाना इस तरह भी सुनकर देखिये, हालांकि पंडित जसराज ‘फ्यूजन’ को ‘कॅनफ्यूजन’ कहते हैं।


और चलते-चलते ‘याद पिया की आये’ वडाली बंधुओं की आवाज में:



प्रस्तुति: दिनेश चौधरी



2 comments:

  1. Ustaad Rashid Khan aur Kaushiki Chakrabortyji ko sunkar Badaa mazaa aayaa.

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  2. कल 12/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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