Tuesday, August 7, 2012

आनंद मरते नहीं...

-अरूण काठोटे
रायपुर। प्रदेश के वरिष्ठ रंगकर्मी आनंद वर्मा का आज सुबह करीब 8 बजे आकस्मिक निधन हुआ। अलसुबह तक परिजनों से बतियाते श्री वर्मा को अकस्मात सांस लेने में दिक्कत हुई और डॉक्टर के आने तक उन्होंने जिंदगी के रंगमंच से बिदाई ले ली। जिंदादिल आनंद वर्मा हर उम्र के बीच लोकप्रिय थे। अपने अंतिम समय तक उन्होंने अपना यह स्वभाव कायम रखा। खामोशी से मौत को गले लगाने वाले आनंद का जाना प्रदेश के रंगकर्मियों तथा संस्कृतिकर्मियों को गमगीन कर गया।

सोमवार सुबह जैसे यह खबर रंगकर्मियों को मिली वे शिद्दत के साथ उनकी अंतिम यात्रा में शरीक हुए। मूलतया शिक्षक के रूप में अपना सफर प्रारंभ करने वाले आनंद ने अपनी रंगयात्रा मुंबई के पृथ्वी थियेटर से प्रारंभ की। वे न केवल अच्छे शिक्षक रहे बल्कि अंत तक रंगकर्म तथा बॉलीवुड में भी सक्रिय रहे। राजधानी के कमोबेश सभी रंगदलों में उन्होंने अपने अभिनय के साथ-साथ बतौर मेकअप मैन के रूप में अपनी अमिट छाप बनाई। हाल ही में उनकी अभिनीत फिल्म कका के प्रीमियर के वक्त भी वे तमाम कलाकारों से जिंदादिली से मिले। यूं तो प्रत्येक नाटक के मंचन के अवसर पर वे अपनी उपस्थिति से से कलाकारों को प्रोत्साहित करते। इप्टा के आयोजनों में वे विशेष तौर पर उपस्थित रहते। बतौर अभिनेता भी उन्होंने इप्टा के नाटकों में अभिनय किया था।

आनंद के रोम-रोम में अभिनय समाया था। मानवीय संवेदनाओं के वे कुशल चितेरे तो थे ही साथ ही पेंटिंग तथा कविताओं के माध्यम से भी उन्होंने अपनी भावनाएं अभिव्यक्त की। कुल मिलाकर वे एक संवेदनशील इंसान थे, और बदले परिवेश में जब ऐसे इंसानों की ज्यादा जरूरत है, उनके अनंत में जाने पर रंगकर्मियों में शोक व्याप्त हो गया। उनकी अंतिम यात्रा में एकत्र रंगकर्मियों, छालीवुड के कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों ने आत्मीयता के साथ उनके साथ बिताए पलों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी उपस्थितों ने यही कहा कि आनंद मरा नहीं... आनंद मरते नहीं।

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