Wednesday, May 2, 2012

डोंगरगढ़ में बलराज साहनी स्मृति नाट्य समारोह 2 मई से


डोंगरगढ़। नाट्य संस्था ‘इप्टा’ व सामाजिक संस्था ‘विकल्प’ द्वारा आयोजित किये जा रहे 8 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह का उद्घाटन इंदिरा कला व संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर माण्डवी सिंह व अंतरख्याति ख्याति के निर्देशक प्रोबीर गुहा के संक्षिप्त वक्तव्यों के साथ होगा। बलराज साहनी जन्मशती वर्ष में यह नाट्य समारोह उनकी स्मृति को समर्पित किया गया है। उद्घाटन समारोह में छत्तीसगढ़ के मशहूर नाटककार प्रेम साइमन के नाटकों की एक किताब का विमोचन भी किया जायेगा, जिसका संपादन  दिनेश चौधरी ने किया है।


तीन दिवसीय समारोह के प्रथम दिवस पहला नाटक ‘‘फांसी के बाद’’ भिलाई इप्टा द्वारा खेला जायेगा । विमल बंदोपाध्याय द्वारा मूलतः बांग्ला में लिखे गये नाटक का हिंदी अनुवाद मणिमय मुखर्जी ने किया है। प्रस्तुति नियंत्रण राजेश श्रीवास्तव का व संगीत भारत भूषण तथा सुनील मिश्रा का है। अदालत द्वारा दोषी ठहराये गये पात्र को नाटककार दोषी नहीं मानते और बहुत ही रोचक ढंग से एक अवास्तविक घटना आगे बढ़ती है व दर्शकों को अपने साथ बाँधती चली जाती है।

दूसरा नाटक ‘‘घर वापसी का गीत’’ ऑल्टरनेटिव लिविंग थियेटर कोलकाता द्वारा खेला जायेगा। यह नाटक अपने किस्म के एक अलग शिल्प के माध्यम से यह बयान करता है कि देशों के विभाजन के साथ केवल स्वतंत्रता नहीं आती है, बल्कि वह हाशिये पर पड़े करोड़ों लोगों के लिये बेघर हो जाने का पैगाम भी लेकर आती है। बेशुमार लोग शहरों की ओर भागने लगते हैं। वे मनुष्यों की तरह दिखते तो हैं पर कभी भी सामान्य मनुष्य की तरह जी नहीं पाते। उनका भटकाव कभी खत्म नहीं होता। वे एक नये पते के लिये, एक नयी नियति के लिये आजादी के 63 साल बाद भी भटकने के लिये अभिशप्त हैं। नाटक का निर्देशन राष्ट्रपति द्वारा संगीत नाटक अकादमी सम्मान से विभूषित सुविख्यात निर्देशक प्रोबीर गुहा ने किया है।

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